attack on imran khan

पाक में पूर्व प्रधानमंत्रियों पर हमले का है पुराना इतिहास, 15 साल बाद भी बेनजीर भुट्टो की हत्या का मामला अनसुलझा

bnzeer and imran

27 दिसंबर 2007 को पूर्व पीएम बेनजीर की रावलपिंडी में हो गई थी हत्या  

Imran khan rally firing पाकिस्तान की सियासत में कब क्या घट जाए, कोई नहीं जानता। सत्ता से हटाए जा चुके पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर जानलेवा हमले ने 15 साल पहले (Benazir Bhutto assassination) पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या की दास्तां याद दिला दी है। साल 2007 में 27 दिसंबर को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान बेनजीर भुट्टो की बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी। हालांकि यह हत्या किसने की और इसके पीछे किसका हाथ था, इसका पता आज तक नहीं लग पाया है। इमरान खान पर हुआ जानलेवा हमला उसी आशंका को बल दे रहा है कि सत्ता के खिलाफ खड़े हुए नेताओं को पाकिस्तान में रास्ते से हटा दिया जाता है। 

सिर्फ दो को हुई थी सजा
बेनजीर भुट्टो की हत्या के लिए वर्ष 2017 में दो पुलिस अधिकारियों को घटनास्थल पर उचित कदम न उठाने के आरोप में सजा सुनाई गई थी। इस मामले में अभी तक इन्हीं दो को दोषी करार दिया गया। पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से यह सामने आया कि रैली के दौरान बेनजीर भुट्टो को गर्दन में गोली मारी गई थी और इसके बाद हत्यारे ने खुद को बम से उड़ा लिया था। उस बम धमाके में 24 अन्य लोग भी मारे गए थे। वहीं 71 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। मालूम हो, बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की दो बार प्रधानमंत्री रहीं, पहली बार वर्ष 1998 से 1990 तक और दूसरी बार वर्ष 1993 से लेकर 1996 तक उनका कार्यकाल रहा। जिस समय उनकी हत्या हुई, उस समय वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रचार कर रही थीं।

नहीं मालूम हो पाया किसने कराई हत्या
बेनजीर भुट्टो की हत्या का राज अभी तक राज ही है। इस हत्या में किसका हाथ था, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया। पाक में हत्या की अनेक थ्योरी चलती रही हैं। हत्याकांड के बाद पुलिस ने 16 लोगों को आरोप बनाया था, इस मामले में 355 बार आरोपियों की पेशी हुई, 10 जज बदले गए और 114 लोगों ने अपनी गवाही दी, लेकिन आखिर में महज 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उस समय राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ पर भी यह आरोप लगा था कि उन्होंने ही इस हत्याकांड को अंजाम दिलाया। मुशर्रफ ने हत्या के लिए उस समय तालिबान के प्रमुख बैतुल्लाह महसूद को जिम्मेदार ठहराया, हालांकि महसूद की ओर से इससे इनकार किया गया। बावजूद इसके महसूद को हमले का मुख्य आरोपी माना गया। लेकिन वह अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। इसके बाद 5 अन्य आरोपी नादिर खान उर्फ कारी, नसरुल्ला, अब्दुल्ला उर्फ सद्दाम, इकरामुल्लाह, फैज मोहम्मद कास्कत भी अलग-अलग मुठभेड़ में मार गिराए गए थे।

आरोप-चुनाव से पहले भुट्टो को मरवाना चाहते थे मुशर्रफ
पुलिस की जांच में बेनजीर भुट्टो पर हमला करने वाले आत्मघाती हमलावर की पहचान सईद ब्लाकेल के रूप में हुई थी, उसने सुसाइड बम से खुद को उड़ा लिया था। ऐसे आरोप भी लगे कि तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ खुद चुनाव से पहले बेनजीर को मरवाना चाहते थे। उस समय शहर के पूर्व पुलिस अधिकारी (सीपीओ) सऊद अजीज और अधीक्षक (एसपी) रावल खुर्रम शहजाद को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद साल 2013 में एक पाकिस्तानी अदालत में मुशर्रफ के खिलाफ आरोप भी तय हुए थे, लेकिन वर्ष 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान छोडक़र भाग गए। हालांकि 31 अगस्त, 2017 को अदालत ने 5 आरोपियों को बरी कर दिया और मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित कर दिया था।

चरमपंथ के खिलाफ थी बेनजीर
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का चरमपंथ से तीखा विरोध था। उन्हें इसके लिए तालिबान, अलकायदा और पाकिस्तान के ही जिहादियों से धमकियां मिलती रहती थी। बावजूद इसके उनकी हत्या के मामले में पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां निचले स्तर के कारिंदों तक ही सीमित रही। इस हत्याकांड की योजना किसने बनाई, इसके लिए पैसा कहां से मुहैया कराया गया, और फिर इसे अंजाम तक किसने पहुंचाया आदि की जांच पर फोकस ही नहीं किया गया।  

संयुक्त राष्ट्र की टीम ने भी की थी जांच 
बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान में उनके राजनीतिक दल पीपल्स पार्टी को व्यापक जनसमर्थन मिला और वह सरकार में आ गई। तब सरकार के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र संघ की एक टीम ने इस मामले की जांच की। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र की टीम ने अपनी 70 पेज की रिपोर्ट में सिर्फ यह बताया कि बेनजीर भुट्टो को पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिली थी और इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का प्रशासन जिम्मेदार था। रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर बेनजीर को पर्याप्त सुरक्षा मिली हुई होती तो उनकी हत्या को रोका जा सकता था। 
   
हत्याकांड का स्थल ही धुलवा दिया था पुलिस ने
संयुक्त राष्ट्र की टीम ने छानबीन में पुलिस की तरफ से की गई लापरवाहियों का भी भंडाफोड़ किया था। इसमें बताया गया था कि हमले के दो घंटे के अंदर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी खुर्रम शहजाद ने हत्यास्थल को धुलवा दिया था। यह समझ से परे की बात है कि इतने बड़े हत्याकांड के बाद उस जगह को ही साफ करवा दिया गया। यानी किसी गहरी साजिश के संकेत यहीं से मिल जाते हैं। शहजाद को अदालत ने दोषी भी करार दिया था वहीं मामले में दूसरे दोषी तत्कालीन रावलपिंडी पुलिस प्रमुख सऊद अजीज थे। उन पर यह आरोप था कि उन्होंने बार-बार आग्रह के बावजूद बेनजीर भुट्टो के शव का परीक्षण नहीं होने दिया था। 

पति आसिफ अली पर भी उठी थी अंगुली
बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार बनी और बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने।  परंतु वे भी हत्यारों को बेनकाब करने में असफल रहे। शक की सुई जरदारी की तरफ इशारा कर थी। इन अटकलों को तब और जोर मिला जब जरदारी के वरिष्ठ सहयोगी बिलाल शेख 2013 में कराची में एक आत्मघाती बम हमले में मारे गए। गौरतलब है कि बेनजीर भुट्टो के बॉडीगार्ड खालिद शहंशाह पर भी उनकी हत्या की अंगुली उठाई गई। दरअसल, ऐसे कुछ वीडियो सामने आए थे, जिनमें बेनजीर के रैली स्थल पर शहंशाह को अजीब हरकतें करते देखा गया था। यह बेनजीर की हत्या से कुछ देर पहले घटा था। बाद में कुछ महीने के अंतराल पर शहंशाह की कराची में बेहद रहस्यपूर्ण तरीके से हत्या कर दी गई थी।